नज़र जब से मुझ पर वो करने लगे हैं
बहारों के चेहरे उतरने लगे हैं
ये किसकी ख़बर है ये कौन आ रहा है
जो रातों को उठ कर संवरने लगे हैं
निगाहों के रस्ते वो अब धीरे धीरे
मेरे दिल के अन्दर उतरने लगे हैं
मेरे घर का परदा हवा से क्या सरका
क़दम आंधियों के ठहरने लगे हैं
ना ठोकर लगाओ हमें दोस्तों तुम
के अब टूट कर हम बिखरने लगे हैं
है तरके तआल्लुक में भी कुछ तआल्लुक
मुझे देखकर वो ठहरने लगे हैं
ज़मी के मसाइल को हम भूलकर अब
सफ़र आसमानों का करने लगे हैं
किसी रोज़ सोनी ना हो जाउं रुसवा
बड़ी देर तक वो ठहरने लगे हैं
Sunday, February 17, 2008
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