Thursday, September 27, 2007

ये फ़साना है सोनी हकीक़त नहीं...

आपको हमसे मिलने की फु़रसत नहीं
ये अदावत है साहिब मुहब्बत नहीं

यूं बहाने बनाने से क्या फ़ायदा
साफ़ कह दीजिए हम से उल्फ़त नहीं

मेरे अश्कों से रोशन मेरी रात है
चांद तारों की मुझको ज़रूरत नहीं

दिल जलाते हैं हम रोशनी के लिए
इन चरागों की हमको ज़रूरत नहीं

प्यार के खेल में हार ही हार है
ये फ़साना है सोनी हकीक़त नहीं

चल दिए ...

हम सफ़र अपना रुख मोड़ कर चल दिये
मुझको दोराहे पर छोड़ कर चल दिये

मेरे चेहरे से थी क्या शिक़ायत कोई
आइना आप जो तोड़ कर चल दिये

खोखले बे समर पेड़ की सम्त ही
बदहवासी में हम दौड़ कर चल दिये

ज़िन्दगानी की जो कश्मकश में रहे
ज़िन्दगानी को वो छोड़ कर चल दिये

ज़लज़ले जब कभी भी ज़मीं से उठे
हम ग़रीबों के घर तोड़ कर चल दिये