डॉ अनीता सोनी
एम. ए. पीएचडी हिंदी साहित्य
(अंतर्राष्ट्रीय कवियत्री एवं शायरा )
एम. ए. पीएचडी हिंदी साहित्य
(अंतर्राष्ट्रीय कवियत्री एवं शायरा )
ग़ज़ल
तुम्हारी याद को अश्कों में ढाल बैठी हूँ
दहकते शोले को पानी में डाल बैठी हूँ
मैं अपने जिस्म पे ज़ख्मों की ओढ़ कर चादर
तुम्हारे ज़ुल्म की ज़िंदा मिसाल बैठी हूँ
ये छाले चेहरे पे यूँ ही नहीं पड़े मेरे
किसी के हिज़्र में आँसू उबाल बैठी हूँ
न टाल मुझको मेरे चारागर ख़ुदा के लिए
मैं ज़िंदगानी का लेकर सवाल बैठी हूँ
हरीफ़े अम्न न पथराव कर दे ए सोनी
मैं खेल खेल में पत्थर उछाल बैठी हूँ