Monday, September 10, 2018

ए चराग़े वफ़ा क्या करूँ क्या करूँ
चल रही है हवा क्या करूँ क्या करूँ

मिल न पायी कहीं पर मुझे आज तक
ज़ख्मे दिल की दवा क्या करूँ क्या करूँ

दर्दे फुरक़त मेरी रूह तक आ गया
ए मसीहा बता क्या करूँ क्या करूँ

आ गया आँख  से आज दामन तलक
अश्क़ का सिलसिला क्या करूँ क्या करूँ

आज सांसें मेरी मुझसे करने लगी
ज़िन्दगी का गिला क्या करूँ क्या करूँ

अश्क़ रुकते नहीं आह थमती नहीं
ए  ग़मे दिल बता क्या करूँ क्या करूँ