Thursday, July 26, 2018

क़ुदरत के इन हसीन नज़ारों को चूम लूँ

ग़ज़ल

क़ुदरत के इन हसीन नज़ारों  को चूम लूँ
जी चाहता है चाँद सितारों को चूम लूँ

काग़ज़  की एक छोटी सी कश्ती में बैठ कर
बहती हुई नदी के किनारों को चूम लूँ

काली घटा की ओढ़नी सूरज पे डाल कर
सावन की सब्ज़ सब्ज़ बहारों को चूम लूँ

फूलों की अंजुमन में जो जाना नसीब हो
तितली की तरह मैं भी बहारों  को चूम लूँ

सोनी हवा के डोले पे होकर सवार मैं
बारिश की हल्की हल्की फुहारों को चूम लूँ