ग़ज़ल
क़ुदरत के इन हसीन नज़ारों को चूम लूँ
जी चाहता है चाँद सितारों को चूम लूँ
काग़ज़ की एक छोटी सी कश्ती में बैठ कर
बहती हुई नदी के किनारों को चूम लूँ
काली घटा की ओढ़नी सूरज पे डाल कर
सावन की सब्ज़ सब्ज़ बहारों को चूम लूँ
फूलों की अंजुमन में जो जाना नसीब हो
तितली की तरह मैं भी बहारों को चूम लूँ
सोनी हवा के डोले पे होकर सवार मैं
बारिश की हल्की हल्की फुहारों को चूम लूँ
क़ुदरत के इन हसीन नज़ारों को चूम लूँ
जी चाहता है चाँद सितारों को चूम लूँ
काग़ज़ की एक छोटी सी कश्ती में बैठ कर
बहती हुई नदी के किनारों को चूम लूँ
काली घटा की ओढ़नी सूरज पे डाल कर
सावन की सब्ज़ सब्ज़ बहारों को चूम लूँ
फूलों की अंजुमन में जो जाना नसीब हो
तितली की तरह मैं भी बहारों को चूम लूँ
सोनी हवा के डोले पे होकर सवार मैं
बारिश की हल्की हल्की फुहारों को चूम लूँ