मानव होने का अनुभव
सिर्फ़ जन्म लेना और फ़िर मर जाना नहीं है.
मानव होना यानी मिट्टी पानी अग्नि वायु और
आकाश होना है,
मिट्टी हो यदि तुम तो फ़िर उगने दो अपने अंदर
प्यार के बीज,ममता की फ़सलें,और भाईचारे की बालियां
अपनेपन के फ़ूलों की, और खुद तुम्हारी अपनी
सौंधी सौंधी महक उठने दो,
फ़िर अनुभव करो कि तुम मानव हो.
यदि अग्नि हो तुम तो जला दो मनमुटाव
दूरियां और इन्सान इन्सान के बीच का भेदभाव,
तड़का दो ऐसे सारे बरतन जिनमें
वैमनस्य का ज़हर उबल रहा है,
पकने दो मन की हांडी में प्यार की खिचड़ी
जलने दो ये मुहब्बत की आग मंद मंद यूं ही
फ़िर अनुभव करो कि तुम मानव हो.
पानी अगर हो तुम तो घुलने दो रंग सारे के सारे
सुख के दुख के,बह जाओ उसी तरफ़ जिधर प्यासे अधर पुकारे
पूरी धरती के सीने पर हैं लाखों सूखे गहरे गड्ढे
समा जाओ उनमे गहरे गहरे तक
होंटों के रस्ते दिल मे उतर कर अमर हो जाओ
जब हर सूखे अधर पर
तुम्हारे गीले अधरों का अहसास हो
तब अनुभव करो कि तुम मानव हो
अगर तुम वायु हो तो उडा़ ले जाओ
कटी पतंगों को हरे भरे पेडो़ की
उन डालियों तक जहां उनका प्रेम बसेरा हो जाये
उडा़ के ले जाओ गर्द नफ़रत की और बादल दुख के
ज़िंदगी की छत पर आंसुओं से भीगी चुनरिया टंगी है
आओ उसे अपने प्यार के झोंकों से सुखा दो
फ़िर वह लहरा लहरा कर
तुम्हारे बदन से लिपट लिपट जाये
तो फ़िर अनुभव करो कि तुम मानव हो
अगर आकाश हो तुम तो फ़िर उड़ने दो
अपनी विशाल बाहों में अरमानों के पंछी
उठा लो अपने सीने पर सारे ग्रह नक्षत्र
जड़ लो अपने माथे पर चांद और सूरज
औढ़ लो सितारों की चादर
और फ़िर निहारो अपना प्रतिबिम्ब
धरती पर फ़ैले प्यार के सागर में
और फ़िर अनुभव करो कि तुम मानव हो
Wednesday, December 24, 2008
गीत- बोलो हमसे ज़रा मीठी बोली
वतन के दुश्मनों के नाम सद्भभावना और इन्सानियत का सन्देश
बोलो हमसे ज़रा मीठी बोली
काहे हरदम चलाते हो गोली
तुम्हरी तलवार हमरी कटारी
दोनों बैरी हैं दोनो शिकारी
साथ छूटे जो इन बैरनों का
गुल खिलायेगी चाहत हमारी
शहद बन जायेगी हर निबोली
बोलो हमसे ज़रा मीठी बोली
काहे हरदम चलाते हो गोली
कल की पहचान बन जायें हम तुम
प्यार की शान बन जायें हम तुम
धर्म ज़ातों मे खु़द को न बांटें
काश इन्सान बन जायें हमतुम
खा़ली रहने न दो दिल की झोली
बोलो हमसे ज़रा मीठी बोली
काहे हरदम चलाते हो गोली
राजनीति लगाये निशाने
तीर खाते हैं हम सब दिवाने
ये समझ हमको आयेगी जिस दिन
लौट आयेंगे बीते ज़माने
आओ खेलें मुहब्बत की होली
बोलो हमसे ज़रा मीठी बोली
काहे हरदम चलाते हो गोली
बोलो हमसे ज़रा मीठी बोली
काहे हरदम चलाते हो गोली
तुम्हरी तलवार हमरी कटारी
दोनों बैरी हैं दोनो शिकारी
साथ छूटे जो इन बैरनों का
गुल खिलायेगी चाहत हमारी
शहद बन जायेगी हर निबोली
बोलो हमसे ज़रा मीठी बोली
काहे हरदम चलाते हो गोली
कल की पहचान बन जायें हम तुम
प्यार की शान बन जायें हम तुम
धर्म ज़ातों मे खु़द को न बांटें
काश इन्सान बन जायें हमतुम
खा़ली रहने न दो दिल की झोली
बोलो हमसे ज़रा मीठी बोली
काहे हरदम चलाते हो गोली
राजनीति लगाये निशाने
तीर खाते हैं हम सब दिवाने
ये समझ हमको आयेगी जिस दिन
लौट आयेंगे बीते ज़माने
आओ खेलें मुहब्बत की होली
बोलो हमसे ज़रा मीठी बोली
काहे हरदम चलाते हो गोली
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