उनकी नज़र से शर्म की दीवार गिर गयी
बस एक वोट से मेरी सरकार गिर गयी
कश्ती पहुँच रही थी किनारे के आस पास
ऐसे में मेरे हाथ से पतवार गिर गयी
रख देती है जला के जो हर एक शाख को
बिजली मेरे चमन पे वो सौ बार गिर गयी
इस बार मेरे घर में भी सैलाब आ गया
इस बार मेरे घर की भी दीवार गिर गयी
करता था नाज़ जिसपे वो मैदाने जंग में
कातिल के हाथ से वो ही तलवार गिर गयी
सोनी हमारी चाल को ऐसी नज़र लगी
पाज़ेब पांव से सरे बाजार गिर गयी
डॉ अनीता सोनी
अंतर्राष्ट्रीय कवियत्री एवं शायरा
एमए पीएचडी {हिंदी साहित्य}
बस एक वोट से मेरी सरकार गिर गयी
कश्ती पहुँच रही थी किनारे के आस पास
ऐसे में मेरे हाथ से पतवार गिर गयी
रख देती है जला के जो हर एक शाख को
बिजली मेरे चमन पे वो सौ बार गिर गयी
इस बार मेरे घर में भी सैलाब आ गया
इस बार मेरे घर की भी दीवार गिर गयी
करता था नाज़ जिसपे वो मैदाने जंग में
कातिल के हाथ से वो ही तलवार गिर गयी
सोनी हमारी चाल को ऐसी नज़र लगी
पाज़ेब पांव से सरे बाजार गिर गयी
डॉ अनीता सोनी
अंतर्राष्ट्रीय कवियत्री एवं शायरा
एमए पीएचडी {हिंदी साहित्य}