Sunday, October 14, 2018

ग़ज़ल

हर तरफ भीड़ है और भीड़ का छटना  मुश्किल 
भीड़ में रह के तेरे नाम को रटना  मुश्किल 

दर्द की रात  के दामन पे है अश्कों का हुजूम 
दर्द की रात  के दामन का सिमटना मुश्किल 

प्यार के लफ्ज़ में  इक़रारे  वफ़ा होता है 
हर किसी के लिए इस लफ्ज़ का रटना मुश्किल 

एक हो जाएँ अगर भूख के मारे इन्सां 
 फिर तो  इन फ़सलों का धनवानों में बटना मुश्किल 

बदगुमानी की किसी शख़्स के दिल पर सोनी 
धुंध छा जाये तो फिर धुंध का छटना मुश्किल 


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