जब कभी याद उस की आती है
नींद अश्कों में डूब जाती है
बे नियाज़ी कुम्हार की मुझको
चाक पे रख के भूल जाती है
दिल की दुनिया उजाड़ कर क़िस्मत
शोख़ बच्ची सी खिलखिलाती है
हिचकियाँ नीम शब में चलने से
हसरते वस्ल सर उठाती है
जब भी बचपन में लौटती हूँ मैं
ऐसा लगता है माँ बुलाती है
क्या करूँ तर्के तअल्लुक़ का गिला
डाल जामुन की टूट जाती है
सोनी आवारह वो नज़र तौबा
आते जाते मुझे सताती है
नींद अश्कों में डूब जाती है
बे नियाज़ी कुम्हार की मुझको
चाक पे रख के भूल जाती है
दिल की दुनिया उजाड़ कर क़िस्मत
शोख़ बच्ची सी खिलखिलाती है
हिचकियाँ नीम शब में चलने से
हसरते वस्ल सर उठाती है
जब भी बचपन में लौटती हूँ मैं
ऐसा लगता है माँ बुलाती है
क्या करूँ तर्के तअल्लुक़ का गिला
डाल जामुन की टूट जाती है
सोनी आवारह वो नज़र तौबा
आते जाते मुझे सताती है
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