Wednesday, September 26, 2007
वो मेरे अक्स को ...
वो मेरे अक्स को भी आईने से दूर रखता है
अगर मैं आइना देखूं तो वो मुझसे बिगड़ता है
कभी सुनता है जो गुन गुन मेरे नज़दीक भौंरे की
अजब है बाग़ में जा कर वो भौंरों से झगड़ता है
बुरी आदत है उसकी तन्ज़ करना बातों बातों में
अगर मैं रो पड़ी तो फिर वो मेरे साथ सुबकता है
मिसाल अब तक ये सुनते आये हैं हम अपने पुरखों से
अगर लड़ते हैं दो प्रेमी तो उनका प्यार बढ़ता है
नहीं समझेंगे सोनी लोग उसके दिल की फितरत को
मेरा दिल उसके ही दिल में तो रह रह कर धड़कता है
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