सुबह की गोदड़ी में छुपाए रखे
रात के ख़्वाब दिन में सजाए रखे
रंजो ग़म दर्दे दिल और आहों फ़ुग़ाँ
बोझ हमने भी कितने उठाए रखे
रिश्ते नाते सभी दे रहे थे धुआं
उन चराग़ों को फिर भी जलाये रखे
कौन थे जिनको दुःख बांटते हम भला
दोस्त जो भी थे वो सब भुलाये रखे
बारिशे अश्क़ से मिट न जाये कहीं
वो जो काग़ज़ पे चेहरे बनाये रखे
काम आते हैं सोनी बुरे वक्त में
इसलिए खोटे सिक्के बचाये रखे
रात के ख़्वाब दिन में सजाए रखे
रंजो ग़म दर्दे दिल और आहों फ़ुग़ाँ
बोझ हमने भी कितने उठाए रखे
रिश्ते नाते सभी दे रहे थे धुआं
उन चराग़ों को फिर भी जलाये रखे
कौन थे जिनको दुःख बांटते हम भला
दोस्त जो भी थे वो सब भुलाये रखे
बारिशे अश्क़ से मिट न जाये कहीं
वो जो काग़ज़ पे चेहरे बनाये रखे
काम आते हैं सोनी बुरे वक्त में
इसलिए खोटे सिक्के बचाये रखे
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