सोचती हूँ झुकाकर नज़र देख लूँ
कितने गहरे हैं ज़ख़्मे जिगर देख लूँ
लाख हिम्मत नहीं है मगर देख लूँ
उसके चेहरे को मैं एक नज़र देख लूँ
हो इजाज़त तो मैं आपकी आँख में
अपनी तस्वीर को एक नज़र देख लूँ
मेरी पलकों पे किरनें चमकने लगें
बंद आँखों से उसको अगर देख लूँ
इससे पहले के सोनी वो मुझसे मिलें
एहतियातन इधर और उधर देख लूँ
कितने गहरे हैं ज़ख़्मे जिगर देख लूँ
लाख हिम्मत नहीं है मगर देख लूँ
उसके चेहरे को मैं एक नज़र देख लूँ
हो इजाज़त तो मैं आपकी आँख में
अपनी तस्वीर को एक नज़र देख लूँ
मेरी पलकों पे किरनें चमकने लगें
बंद आँखों से उसको अगर देख लूँ
इससे पहले के सोनी वो मुझसे मिलें
एहतियातन इधर और उधर देख लूँ
No comments:
Post a Comment