आप का दिल जो राजधानी है
मेरी उस पर भी हुक्मरानी है
तकती रहती है उसके चेहरे को
ये नज़र किस क़दर दिवानी है
ख़ास चेहरे पे जा के ठहरेगी
आंख मेरी बड़ी सयानी है
प्यार की राह पर जो चलते हैं
उनकी नज़रों में आग पानी है
रोज़ जलती हूँ शाम ढलने पर
शमआ जैसी मेरी कहानी है
भीगी भीगी सी शब की ज़ुल्फ़ मुझे
सुबह की धूप में सुखानी है
ए हवा उनसे जा के कह्दे तू
महकी महकी सी रात रानी है
Tuesday, September 18, 2007
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