Monday, January 20, 2020

ग़ज़ल

धूप ही धूप है इसमें साए नहीं
इश्क़ की राह पर कोई जाए नहीं
दाग़ दिल के किसी को दिखाए नहीं
इन चराग़ों को हमने जलाए नहीं
ज़ब्त करते रहे उम्र भर रंजो ग़म
ज़िन्दगी हमने आंसू बहाए नहीं
कौनसा दिन था वो कौनसी रात थी
याद करके उसे मुस्कुराए नहीं
घर से निकले हैं क्या आंसुओं कि तरह
लौट कर सोनी अब तक वो आए नहीं


Saturday, January 11, 2020

ग़ज़ल

कह रहे हैं अंधेरे के मारे सभी
आसमां नोच लें तेरे तारे सभी
हम सफीने की मानिंद डूबा किए
देखते ही रहे वो किनारे सभी
बाम पर वो नहीं है तो ए आसमां
खल रहे हैं नज़र को नज़ारे सभी
चलते चलते सरे राह वो क्या मिला
लोग दुश्मन हुए हैं हमारे सभी
फिर भी पहलू में तुमको न पाया कभी
हमने सदके तुम्हारे उतारे सभी
देखते किस की जानिब उठा कर नज़र
थे हमारी तरह ग़म के मारे सभी
सोनी बाहर न आया वो तस्वीर से
आज़माती रही मैं इशारे सभी