आह और वाह का तमाशा है
और सिवा इसके ज़िन्दगी क्या है
वो जो परदे के पीछे रहता है
वो ही क़ातिल है वो ही मसीहा है
पेशे ख़िदमत है जानो दिल साहिब
और किस चीज़ की तमन्ना है
ए ख़ुदा खैर हो मेरे ख़त की
ग़ैर के हाथ में लिफ़ाफ़ा
मुझको बेनाम कर दिया आख़िर
और दुनिया का क्या इरादा है
सोनी उस नामुराद के दिल में
अब भी जीने की तमन्ना है
और सिवा इसके ज़िन्दगी क्या है
वो जो परदे के पीछे रहता है
वो ही क़ातिल है वो ही मसीहा है
पेशे ख़िदमत है जानो दिल साहिब
और किस चीज़ की तमन्ना है
ए ख़ुदा खैर हो मेरे ख़त की
ग़ैर के हाथ में लिफ़ाफ़ा
मुझको बेनाम कर दिया आख़िर
और दुनिया का क्या इरादा है
सोनी उस नामुराद के दिल में
अब भी जीने की तमन्ना है
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