जब भी ग़म से बात हुई
आंखो से बरसात हुई
उसने रस्ता बदल लिया
जब भी उसके साथ हुई
सब कुछ भूले बैठी हूँ
याद तेरी सौगात हुई
जुगनू चमके पलकों पर
जब भी दिल में रात हुई
पगली सोनी कुछ तो बता
पगले से क्या बात हुई
प्यार की बाजी जब भी खेली
सोनी अपनी मात हुई
Thursday, October 4, 2007
एक इक कर के ज़ख्म धोना है...
एक इक कर के ज़ख्म धोना है
आज जी भर के मुझको रोना है
तेरी यादों के कीमती मोती
सांस की डोर में पिरोना है
मेरी आंखों को मेरे अश्कों का
सोते सोते भी बोझ ढोना है
ऐसे वैसे को सौंप दूं कैसे
दिल तो नाज़ुक सा इक खिलौना है
सोनी रुदादे ग़म बहुत सुन ली
बस भी कर अब तो हम को सोना है
आज जी भर के मुझको रोना है
तेरी यादों के कीमती मोती
सांस की डोर में पिरोना है
मेरी आंखों को मेरे अश्कों का
सोते सोते भी बोझ ढोना है
ऐसे वैसे को सौंप दूं कैसे
दिल तो नाज़ुक सा इक खिलौना है
सोनी रुदादे ग़म बहुत सुन ली
बस भी कर अब तो हम को सोना है
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